टैक्सों के बोझ से बैचेन हुए विद्यालय संचालक
-शिक्षा के विभाग के अधिकारियों से मांगा सहयोग
-विद्युत विभाग के बाद नगर निगम ने खडी की परेशानीः अर्पित
मथुरा। टैक्सों के बोझ से विद्यालय संचालक बेचैन हैं। इन टैक्स को न्याय संगत बनाने और राहत दिये जाने की मांग को लेकर विद्यालय संचालक लगातार आंदोलन कर रहे हैं। अब विद्यालय संचालकों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से इस मामले में मदद मांगी है। बाल शिक्षा प्रबंधक समिति के उपाध्यक्ष अर्पित जादौन का कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग तथा माध्यमिक शिक्षा विभाग सभी विद्यालयों का संरक्षण करती है। परंतु ऐसा देखा जा रहा है कि यह विभाग मुसीबत में विद्यालयों का साथ छोड़ देती है। अपने विभागीय कार्य के लिए विद्यालयों पर जोर आजमाइश करती है। जिससे उनके विभाग का कार्य पूर्ण हो जाए। परंतु विद्यालयों पर कोई मुसीबत आती है तो वह किसी प्रकार की मदद नहीं करते हैं। एक नई परेशानी आईं है इन दोनों विभाग के विद्यालयों पर एनजीटी टैक्स लगा दिया गया है। जिसके नोटिस भेजे गए हैं। जिसमें पिछले तीन साल का 112000 तथा हर माह 3500 रुपये कर का प्रावधान रखा गया है। विद्यालय इसके लिए आंदोलन कर रहे है। विद्यालयों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया पर शिक्षा विभाग पर इसका कोई असर नहीं हुआ है। बाल शिक्षा प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष अर्पित जादौन ने कहा कि अगर विद्यालय बंद हो गए तो इन विभागों को किस लिए चलाया जाएगा। यह उनको सोचना चाहिए विद्यालय इन विभागों के नए नए आदेशों का पालन करते हैं। उनके इन देशों से परेशान है। परंतु यह विभाग अपने कार्यों में मस्त है। विद्यालयों की मुसीबतों से कोई मतलब नहीं है। अगर विभाग चाहे तो निगम के अधिकारियों से बात कर कर इन टैक्सों से मुक्ति दिला सकते हैं। इस टैक्स के अलावा विद्युत विभाग ने भी सभी विद्यालयों के संयोजनों को काफी समय से कमर्शियल कर दिया गया। इस पर भी विद्यालय काफी परेशान हो रहे हैं। विद्यालय की परेशानी को समझते हुए जिला बेसिक तथा माध्यमिक शिक्षा परिषद केवल इस अधिकारियों को इस पर तुरंत आगे आकर कार्रवाई करनी चाहिए।
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