पराली जलाने की घटनाओं पर जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने दिखाई सख़्ती

प्रदेश में पराली जलाने की सर्वाधिक घटनाएं जनपद मथुरा में हुई है।

पराली जलाने की घटनाओं पर जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने दिखाई सख़्ती।

जिलाधिकारी ने अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में निरंतर भ्रमणशील रहकर पराली जलाने की घटनाओं में अंकुश लगाने के दिए निर्देश।

जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि सभी सचिव, ग्राम प्रधान, लेखपाल आदि अपने-अपने क्षेत्रों में किसानों से संवाद करें तथा उनसे पराली खरीदे और गौशालाओं में पहुंचाए।

जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि पराली को विभिन्न स्थानों से क्रय करके सीबीजी प्लांट में भी पहुचायें।

जिला पंचयात राज अधिकारी को निर्देश दिए कि ट्रैक्टर के माध्यम से सभी किसानों की पराली को उनके मूल स्थान से उठाते हुई गौशालाओं में पहुचायें।

मथुरा जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह कि अध्यक्षता में पराली जलाने के सम्बन्ध में बैठक हुई संपन्न। प्रदेश में पराली जलाने की सर्वाधिक घटनाएं जनपद मथुरा में हुई है। पराली जलाने की घटनाओं पर जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने सख़्ती दिखाई है। जिलाधिकारी ने अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में निरंतर भ्रमणशील रहकर पराली जलाने की घटनाओं में अंकुश लगाने के दिए निर्देश। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि पराली को विभिन्न स्थानों से क्रय करके सीबीजी प्लांट में भी पहुचायें। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि सभी सचिव, ग्राम प्रधान, लेखपाल आदि अपने-अपने क्षेत्रों में किसानों से संवाद करें तथा उनसे पराली खरीदे और गौशालाओं में पहुंचाए। जिलाधिकारी ने उप कृषि निदेशक, जिला पंचयात राज अधिकारी, जिला कृषि अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी एवं खंड विकास अधिकारियों को निर्देश दिए कि ट्रैक्टर के माध्यम से सभी किसानों की पराली को उनके मूल स्थान से उठाते हुई गौशालाओं में पहुचायें।
जिलाधिकारी ने जनपद के समस्त कृषक भाइयों को सूचित किया है कि उच्चतम न्यायालय एवं राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली द्वारा फसल अवशेष जलाना दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है। जनपद के समस्त धार्मिक स्थल के संचालक / प्रमुखगण से अपील की गयी है कि अपने धार्मिक स्थल से इस आशय का सन्देश प्रसारित करा दें कि “फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ-साथ भूमि के पोषक तत्वों की अत्यधिक क्षति, मृदा ताप में बढ़ोत्तरी होने से मृदा के भौतिक, रासायनिक, जैविक दशा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है एवं लाभदायक मित्र कीट जलकर मर जाते हैं, जिससे फसलों का उत्पादन कम होता है तथा गुणवत्ता खराब होती है।
फसल अवशेष की घटना की पुष्टि होने पर 2 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए रू 5000, 2 से 5 एकड़ क्षेत्र के लिए रू 10000 एवं 5 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए रू 30000 की प्रति घटना पर्यावरण कम्पेन्सेशन की वसूली तथा घटना की पुनरावृत्ति पर अर्थदण्ड की वसूली व कारावास का भी प्राविधान है।
जनपद में कोई कम्बाइन हार्वेस्टर सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम अथवा स्ट्रा रैक एवं बेलर या अन्य फसल अवशेष यन्त्रों के बगैर चलते हुयी पायी जायेगी तो उसको तत्काल सीज करते हुए कम्बाइन मालिक के स्वंय के खर्च पर सुपर स्ट्रा मैंनेजमेन्ट सिस्टम लगवाकर ही छोडा जायेगा। कुछ किसान भाई इस भ्रम में रहते हैं कि रात्रि में या सुबह 2-3 बजे पराली / फसल अवशेष में आग जलाने पर किसी को पता नहीं चलेगा इस विषय में अवगत कराना है कि पराली / फसल अवशेष जलाने की सूचना उपग्रह द्वारा 24 घण्टे रीयल टाइम फोटो सहित प्रेषित की जाती है, इसलिए कोई सम्भावना नहीं है कि पराली / फसल अवशेष जलाने की घटना को छुपाया जा सके । प्रत्येक घटना के सटीक अक्षान्तर, देशान्तर उपग्रह इमेज के द्वारा जिला प्रशासन को कार्यवाही हेतु उसी दिन उपलब्ध करा दिये जाते हैं जिस पर उच्चतम न्यायालय एवं एनजीटी के निर्देशों के क्रम में तत्काल कार्यवाही किया जाना जिला प्रशासन का दायित्व होता है।
जिलाधिकारी ने समस्त कृषक भाईयों से अनुरोध किया है कि किसी भी फसल के अवशेष को खेतों में न जलायें ‘बल्कि मृदा में कार्बनिक पदार्थो की वृद्धि हेतु पादप अवशेषों को मृदा में मिलावें / सडावें।

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